स्तनपान माँ और बच्चे दोनों के लिए लाभदायक
मेरा बचपन जिस गांव मे गुजरा है वहां स्तनपान को लेकर बहुत बड़ी धारणा बनी हुई थी। कहते थे कि माँ का पहला पीला दूध बच्चों के लिए ज़हर के समान था। सबसे पहले दूध निकाल कर जमीन मे गाड़ दिया जाता था। इसी गलत धारणा की वजह से मैं भी माँ के अमृतनुमा पहले दूध से बनचित रहगया। ऐसी कई धारणएं है जो हमारे समाज में आज भी फैली हुई है, जिसे निकाल फेंकने की ज़रुरत है। समाज के कुछ जागरुक लोगों ने पहल करते हुए समाज में स्तनपान के लाभ-हानी पर चर्चा शुरु की और देखते ही देखते समाज में बदलाव आनेलगा। हम इस बदलाव को ज़ारी रखने के लिए विश्व स्तनपान सप्ताह प्रतिवर्ष 1 से 7 अगस्त को मनाते है, ताकि जागरुकता बनी रहे और गांव-गांव तक पहुँच सके।
विश्व स्तनपान सप्ताह 1-7 अगस्त से 120 देशों में प्रतिवर्ष मनाया जाता है। WHO और UNICEF जैसे वैश्विक स्वास्थ्य संगठनों द्वारा प्रचारित, इस सप्ताह का लक्ष्य शिशु के जीवन के पहले छह महीनों के लिए विशेष स्तनपान के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना है। यह बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली के निर्माण में मदद करता है, महत्वपूर्ण पोषक तत्व प्रदान करता है और विकास को बढ़ावा देता है।
नौ महीने के लंबे प्रतिक्षा के बाद जब एक माँ अपने बच्चे को जन्म देती है तो उस समय उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं होता है वो अपने बच्चे को दुनिया की वो हर खुशी देना चाहती जो शायद उनके लिए सम्भव भी न हो फिर भी वो चाहती है कि उनका बच्चा सफलता की वो उँचाइ प्राप्त करे जो कभी किसी ने नहीं की हो।
जिस तरह माँ की गोद बच्चों का पहला स्कूल है उसी तरह माँ का पहला दूध और 6 महीनों तक बच्चों के विकास में मील का पत्थर साबित होता है। हम सब को स्तनपान जागरुकता कार्यक्रम में भाग लमना चाहिए। ये हम सब की नैतिक जिम्मेदारी है।